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विजली के तार क्यों नहीं टूत्ते हैं



इलेक्ट्रिक रेल इंजन जब रफ़्तार में चलता है, तो रेल लाइन के ऊपर लगी बिजली देने वाली तार घर्षण से टूट क्यों नहीं जाती?
पहली बात - रफ़्तार या स्पीड से कोई बल उत्पन्न नहीं होता है . बिजली - OHE ( ओवरहेड उपस्कर ) सी ग्रहण करने वाला पैंटोग्राफ अगर 300 किलोमीटर/घंटा की स्पीड से स्थिरता के साथ चले और ऊपर बिजली का तार लगातार पैंटोग्राफ के समान्तर रहे तो बिजली के तार पर - भौतिकी के नियम के अनुसार कोई भी बल नहीं लगेगा .

घर्षण का असर बस इतना होता है कि , पैंटोग्राफ - ज्यादातर घिसेगा और ऊपर बिजली का तार अत्यल्प , नाममात्र को ही घिसेगा .

लेकिन इससे तार को कैसे बचाया जाये , इसके चार उपाय होते हैं , जो चित्रों से स्पष्ट होगा



तार को टूटने से बचने के लिए जो चार उपाय किये जाते हैं , वो निम्न है

पैंटोग्राफ का तार को छूने वाली सतह को नरम बनाया जाता है , ताकि वह घिसे और तार नहीं
पैंटोग्राफ में स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा का प्रयोग किया जाता है , ताकि पैंटोग्राफ और तार के बीच - पटरी की विषमतायों के बावजूद ज्यादा बल न पैदा हो -और एक रूप बल हमेशा बना रहे और पैंटोग्राफ तमाम उछालों के बावजूद हमेशा ओप्पर के कांटेक्ट वायर के सम्पर्क में रहे . इसे ऐसे समझें - कोई व्यक्ति - हथौड़ा से पत्थर कैसे तोडा सकता है ? जब हथौड़ा - पत्थर से कुछ दूर हो तब ही. यदि हथौड़ा पत्थर से बिलकुल सटा हो तो पत्थर तोड़ ही नहीं सकता है . इसी तरह पैंटोग्राफ - बिजली की तार से सदैव सटा हुआ रहता है - स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा की मदद से .
बिजली की तार , आड़ी तिरछी लगी होती है , ताकि panto एक ही जगह से ज्यादा न घिसे
बिजली की दो तारें ऊपर लगाई जाती हैं , ताकि नीचे वाली तार बिलकुल पटरी के समान्तर रहे.
इन चीजों को तनिक विस्तार से हम आगे देखेंगे

पैंटोग्राफ का तार को छूने वाली सतह को नरम बनाया जाता है , ताकि वह घिसे और तार नहीं
पैंटोग्राफ के ऊपर एक घिसने वाला स्ट्रिप लगा होता है - जिसे पैंटो कलेक्टर शू वियर स्ट्रिप कहते हैं . 4 मिलीमीटर घिसने के बाद इसे बदल दिया जाता है . इस वियर स्ट्रिप को जान बूझ कर काफी मुलायम बनाया जाता है, साथ ही घर्षण कम करने हेतु - इस कलेक्टर शू पर भी एक conductive ग्रीज़ लगाया जाता है

पैंटोग्राफ में स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा का प्रयोग किया जाता है , ताकि पैंटोग्राफ और तार के बीच - पटरी की विषमतायों के बावजूद ज्यादा बल न पैदा हो -और एक रूप बल हमेशा बना रहे

( चित्र WAP 5 लोको मैन्युअल से - कॉपीराइट हो सकता है )

स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा के कारण पैंटो का स्थैतिक बल मात्र 70 KN या 7 किलो के बराबर होता है (जबकि इंजन का वजन लाख किलो से भी ज्यादा होता है ) , साथ ही , 5 से 6 इंच तक की ऊँचाई की विषमता - कंप्रेस्ड हवा के कारण दूर किया जा सकता है = और तार पर कोई झटका नहीं लगता है और तार टूटने से बचता है.

बिजली की तार , आड़ी तिरछी लगी होती है , ताकि panto एक ही जगह से ज्यादा न घिसे


ऊपर की चित्र से स्पष्ट है - बिजली की तार पैंटो की पूरी चौड़ाई में दायें बाएँ बिछाई जाती है - जिसे तकनीकी भाषा में stagger कहते हैं - जो 8 इंच या 200 मिलीमीटर तक सीधी ट्रैक पर होता है . ऐसा करने से पैंटो एक ही जगह से नहीं घिसता है .यदि पैंटो एक ही जगह से घिसेगा तो वहाँ नौच बन जायेगा जो तार को तोड़ सकता है .

बिजली की दो तारें ऊपर लगाई जाती हैं , ताकि नीचे वाली तार बिलकुल पटरी के समान्तर रहे.

अगली बार स्टेशन पर जाएँ तो गौर से देखिएगा , बिजली की दो तारें दिखेंगी .

ऊपर वाले को catenary वायर कहते हैं , जो झुका हुआ रहता है - जिसे किसी भी हालत में बिलकुल सीधा नहीं किया जा सकता है . जैसा कि हाई टेंशन वायर में देखते हैं



इसीलिए catenary तार के नीचे कांटेक्ट तार लगाया जाता है - और दोनों जुड़े हुए रहते हैं - जिससे कांटेक्ट वायर पर कम से कम बल लगता है और बिलकुल ट्रैक के समान्तर रहता है और मजबूती भी मिलती है .

इन सब के बावजूद कांटेक्ट वायर धीरे धीरे ही सही कुछ कुछ करके घिसती जाती है - जैसे कुएं का मुंडेर का पत्थर मुलायम रस्सी के घर्षण से . सो एक खास सीमा ( 4 मिलीमीटर ) तक घिस जाने के बाद कांटेक्ट वायर को बदल दिया जाता है

इन सब उपायों से - ऊपर की बिजली की तारों को टूटने से बचाया जाता है

कॉपीराइट : लेखकइलेक्ट्रिक रेल इंजन जब रफ़्तार में चलता है, तो रेल लाइन के ऊपर लगी बिजली देने वाली तार घर्षण से टूट क्यों नहीं जाती?
पहली बात - रफ़्तार या स्पीड से कोई बल उत्पन्न नहीं होता है . बिजली - OHE ( ओवरहेड उपस्कर ) सी ग्रहण करने वाला पैंटोग्राफ अगर 300 किलोमीटर/घंटा की स्पीड से स्थिरता के साथ चले और ऊपर बिजली का तार लगातार पैंटोग्राफ के समान्तर रहे तो बिजली के तार पर - भौतिकी के नियम के अनुसार कोई भी बल नहीं लगेगा .

घर्षण का असर बस इतना होता है कि , पैंटोग्राफ - ज्यादातर घिसेगा और ऊपर बिजली का तार अत्यल्प , नाममात्र को ही घिसेगा .

लेकिन इससे तार को कैसे बचाया जाये , इसके चार उपाय होते हैं , जो चित्रों से स्पष्ट होगा



तार को टूटने से बचने के लिए जो चार उपाय किये जाते हैं , वो निम्न है

पैंटोग्राफ का तार को छूने वाली सतह को नरम बनाया जाता है , ताकि वह घिसे और तार नहीं
पैंटोग्राफ में स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा का प्रयोग किया जाता है , ताकि पैंटोग्राफ और तार के बीच - पटरी की विषमतायों के बावजूद ज्यादा बल न पैदा हो -और एक रूप बल हमेशा बना रहे और पैंटोग्राफ तमाम उछालों के बावजूद हमेशा ओप्पर के कांटेक्ट वायर के सम्पर्क में रहे . इसे ऐसे समझें - कोई व्यक्ति - हथौड़ा से पत्थर कैसे तोडा सकता है ? जब हथौड़ा - पत्थर से कुछ दूर हो तब ही. यदि हथौड़ा पत्थर से बिलकुल सटा हो तो पत्थर तोड़ ही नहीं सकता है . इसी तरह पैंटोग्राफ - बिजली की तार से सदैव सटा हुआ रहता है - स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा की मदद से .
बिजली की तार , आड़ी तिरछी लगी होती है , ताकि panto एक ही जगह से ज्यादा न घिसे
बिजली की दो तारें ऊपर लगाई जाती हैं , ताकि नीचे वाली तार बिलकुल पटरी के समान्तर रहे.
इन चीजों को तनिक विस्तार से हम आगे देखेंगे

पैंटोग्राफ का तार को छूने वाली सतह को नरम बनाया जाता है , ताकि वह घिसे और तार नहीं
पैंटोग्राफ के ऊपर एक घिसने वाला स्ट्रिप लगा होता है - जिसे पैंटो कलेक्टर शू वियर स्ट्रिप कहते हैं . 4 मिलीमीटर घिसने के बाद इसे बदल दिया जाता है . इस वियर स्ट्रिप को जान बूझ कर काफी मुलायम बनाया जाता है, साथ ही घर्षण कम करने हेतु - इस कलेक्टर शू पर भी एक conductive ग्रीज़ लगाया जाता है

पैंटोग्राफ में स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा का प्रयोग किया जाता है , ताकि पैंटोग्राफ और तार के बीच - पटरी की विषमतायों के बावजूद ज्यादा बल न पैदा हो -और एक रूप बल हमेशा बना रहे

( चित्र WAP 5 लोको मैन्युअल से - कॉपीराइट हो सकता है )

स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा के कारण पैंटो का स्थैतिक बल मात्र 70 KN या 7 किलो के बराबर होता है (जबकि इंजन का वजन लाख किलो से भी ज्यादा होता है ) , साथ ही , 5 से 6 इंच तक की ऊँचाई की विषमता - कंप्रेस्ड हवा के कारण दूर किया जा सकता है = और तार पर कोई झटका नहीं लगता है और तार टूटने से बचता है.

बिजली की तार , आड़ी तिरछी लगी होती है , ताकि panto एक ही जगह से ज्यादा न घिसे


ऊपर की चित्र से स्पष्ट है - बिजली की तार पैंटो की पूरी चौड़ाई में दायें बाएँ बिछाई जाती है - जिसे तकनीकी भाषा में stagger कहते हैं - जो 8 इंच या 200 मिलीमीटर तक सीधी ट्रैक पर होता है . ऐसा करने से पैंटो एक ही जगह से नहीं घिसता है .यदि पैंटो एक ही जगह से घिसेगा तो वहाँ नौच बन जायेगा जो तार को तोड़ सकता है .

बिजली की दो तारें ऊपर लगाई जाती हैं , ताकि नीचे वाली तार बिलकुल पटरी के समान्तर रहे.

अगली बार स्टेशन पर जाएँ तो गौर से देखिएगा , बिजली की दो तारें दिखेंगी .

ऊपर वाले को catenary वायर कहते हैं , जो झुका हुआ रहता है - जिसे किसी भी हालत में बिलकुल सीधा नहीं किया जा सकता है . जैसा कि हाई टेंशन वायर में देखते हैं



इसीलिए catenary तार के नीचे कांटेक्ट तार लगाया जाता है - और दोनों जुड़े हुए रहते हैं - जिससे कांटेक्ट वायर पर कम से कम बल लगता है और बिलकुल ट्रैक के समान्तर रहता है और मजबूती भी मिलती है .

इन सब के बावजूद कांटेक्ट वायर धीरे धीरे ही सही कुछ कुछ करके घिसती जाती है - जैसे कुएं का मुंडेर का पत्थर मुलायम रस्सी के घर्षण से . सो एक खास सीमा ( 4 मिलीमीटर ) तक घिस जाने के बाद कांटेक्ट वायर को बदल दिया जाता है

इन सब उपायों से - ऊपर की बिजली की तारों को टूटने से बचाया जाता है

कॉपीराइट : लेखकइलेक्ट्रिक रेल इंजन जब रफ़्तार में चलता है, तो रेल लाइन के ऊपर लगी बिजली देने वाली तार घर्षण से टूट क्यों नहीं जाती?
पहली बात - रफ़्तार या स्पीड से कोई बल उत्पन्न नहीं होता है . बिजली - OHE ( ओवरहेड उपस्कर ) सी ग्रहण करने वाला पैंटोग्राफ अगर 300 किलोमीटर/घंटा की स्पीड से स्थिरता के साथ चले और ऊपर बिजली का तार लगातार पैंटोग्राफ के समान्तर रहे तो बिजली के तार पर - भौतिकी के नियम के अनुसार कोई भी बल नहीं लगेगा .

घर्षण का असर बस इतना होता है कि , पैंटोग्राफ - ज्यादातर घिसेगा और ऊपर बिजली का तार अत्यल्प , नाममात्र को ही घिसेगा .

लेकिन इससे तार को कैसे बचाया जाये , इसके चार उपाय होते हैं , जो चित्रों से स्पष्ट होगा



तार को टूटने से बचने के लिए जो चार उपाय किये जाते हैं , वो निम्न है

पैंटोग्राफ का तार को छूने वाली सतह को नरम बनाया जाता है , ताकि वह घिसे और तार नहीं
पैंटोग्राफ में स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा का प्रयोग किया जाता है , ताकि पैंटोग्राफ और तार के बीच - पटरी की विषमतायों के बावजूद ज्यादा बल न पैदा हो -और एक रूप बल हमेशा बना रहे और पैंटोग्राफ तमाम उछालों के बावजूद हमेशा ओप्पर के कांटेक्ट वायर के सम्पर्क में रहे . इसे ऐसे समझें - कोई व्यक्ति - हथौड़ा से पत्थर कैसे तोडा सकता है ? जब हथौड़ा - पत्थर से कुछ दूर हो तब ही. यदि हथौड़ा पत्थर से बिलकुल सटा हो तो पत्थर तोड़ ही नहीं सकता है . इसी तरह पैंटोग्राफ - बिजली की तार से सदैव सटा हुआ रहता है - स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा की मदद से .
बिजली की तार , आड़ी तिरछी लगी होती है , ताकि panto एक ही जगह से ज्यादा न घिसे
बिजली की दो तारें ऊपर लगाई जाती हैं , ताकि नीचे वाली तार बिलकुल पटरी के समान्तर रहे.
इन चीजों को तनिक विस्तार से हम आगे देखेंगे

पैंटोग्राफ का तार को छूने वाली सतह को नरम बनाया जाता है , ताकि वह घिसे और तार नहीं
पैंटोग्राफ के ऊपर एक घिसने वाला स्ट्रिप लगा होता है - जिसे पैंटो कलेक्टर शू वियर स्ट्रिप कहते हैं . 4 मिलीमीटर घिसने के बाद इसे बदल दिया जाता है . इस वियर स्ट्रिप को जान बूझ कर काफी मुलायम बनाया जाता है, साथ ही घर्षण कम करने हेतु - इस कलेक्टर शू पर भी एक conductive ग्रीज़ लगाया जाता है

पैंटोग्राफ में स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा का प्रयोग किया जाता है , ताकि पैंटोग्राफ और तार के बीच - पटरी की विषमतायों के बावजूद ज्यादा बल न पैदा हो -और एक रूप बल हमेशा बना रहे

( चित्र WAP 5 लोको मैन्युअल से - कॉपीराइट हो सकता है )

स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा के कारण पैंटो का स्थैतिक बल मात्र 70 KN या 7 किलो के बराबर होता है (जबकि इंजन का वजन लाख किलो से भी ज्यादा होता है ) , साथ ही , 5 से 6 इंच तक की ऊँचाई की विषमता - कंप्रेस्ड हवा के कारण दूर किया जा सकता है = और तार पर कोई झटका नहीं लगता है और तार टूटने से बचता है.

बिजली की तार , आड़ी तिरछी लगी होती है , ताकि panto एक ही जगह से ज्यादा न घिसे


ऊपर की चित्र से स्पष्ट है - बिजली की तार पैंटो की पूरी चौड़ाई में दायें बाएँ बिछाई जाती है - जिसे तकनीकी भाषा में stagger कहते हैं - जो 8 इंच या 200 मिलीमीटर तक सीधी ट्रैक पर होता है . ऐसा करने से पैंटो एक ही जगह से नहीं घिसता है .यदि पैंटो एक ही जगह से घिसेगा तो वहाँ नौच बन जायेगा जो तार को तोड़ सकता है .

बिजली की दो तारें ऊपर लगाई जाती हैं , ताकि नीचे वाली तार बिलकुल पटरी के समान्तर रहे.

अगली बार स्टेशन पर जाएँ तो गौर से देखिएगा , बिजली की दो तारें दिखेंगी .

ऊपर वाले को catenary वायर कहते हैं , जो झुका हुआ रहता है - जिसे किसी भी हालत में बिलकुल सीधा नहीं किया जा सकता है . जैसा कि हाई टेंशन वायर में देखते हैं



इसीलिए catenary तार के नीचे कांटेक्ट तार लगाया जाता है - और दोनों जुड़े हुए रहते हैं - जिससे कांटेक्ट वायर पर कम से कम बल लगता है और बिलकुल ट्रैक के समान्तर रहता है और मजबूती भी मिलती है .

इन सब के बावजूद कांटेक्ट वायर धीरे धीरे ही सही कुछ कुछ करके घिसती जाती है - जैसे कुएं का मुंडेर का पत्थर मुलायम रस्सी के घर्षण से . सो एक खास सीमा ( 4 मिलीमीटर ) तक घिस जाने के बाद कांटेक्ट वायर को बदल दिया जाता है

इन सब उपायों से - ऊपर की बिजली की तारों को टूटने से बचाया जाता है

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