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खगोलीय भौतिकी क्या हैं

क्या उल्का पिंड टकराने से मानव सभ्यता का विनाश हो जाएगा? मीडिया द्वारा बार बार इस विषय पर चेतावनी देना क्या महज़ सनसनी फैलाना है? , जीवन पथ पर अग्रसर (2002 से - अभी तक) यह बात सर्वोचित है कि उल्का पिंडों के हमारे पृथ्वी से टकराने के बाद भारी जान माल की हानी होगी परन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि पूरी की पूरी मानव जीवन ही खत्म हो जाए किन्तु यह सम्भव भी है क्युकी यह उन... वैज्ञानिक दो ग्रहों की बीच की दूरी को कैसे मापते हैं? , Cognizant में काम करते हैं दो ग्रहों सहित किन्हीं दो स्वर्गीय पिंडों के बीच की दूरी को कई तरीकों से मापा जा सकता है, लेकिन उनमें से तीन सबसे अच्छे हैं: पैराल्लेक्स विधि। केप्लर की विधि। कोपरनिकस विधि। पैराल्लेक्स विधि: मान लीजिए कि हम पृथ्वी और किसी अन्य ग्रह के बीच की दूरी को मापना चाहते हैं, पी कहते हैं। ऐसा करने के लिए हम दो बिंदुओं, ए और बी, को पृथ्वी की सतह पर दो स्थानों पर चिह्नित करेंगे जहां से उस ग्रह को देखा जाता है। A और B इन दो बिंदुओं A और B के बीच की दूरी D है। हम तो, Parallax के परिमाण की गणना करते हैं, जो दो बिंदुओं AP और BP के उपयोग ...

गाड़ी में गियर बदलने पर क्या प्रभाव होता है

गियर बदलने से गाड़ी के भीतर क्या परिवर्तन होता हैं, गियर के साथ गाड़ी का क्या फायदा हैं जबकि बिना गियर वाली गाड़ियां भी उपलब्ध हैं? Prem Bhaiya , Construction में Self (2015 - अभी तक) 17 दिसंबर को जवाब दिया गया बहुत बढ़िया सवाल, आपकी जानकारी के लिए बता दूं गाड़ियों में दो प्रकार का गियर सिस्टम होता है मैनुअल गियर सिस्टम,  प्रकार की गाड़ियों में गियर चेंज करने के लिए गाड़ी के अंदर एक लिवर होता है गाड़ी की स्पीड कम या ज्यादा रखने के लिए हम इसे हाथ से चेंज करते हैं गाड़ियों की शुरुआत से ही हाथ से गियर चेंज करने वाली तकनीक का इस्तेमाल होता आया है, इस प्रकार की गाड़ियों में अलग-अलग स्पीड में गाड़ी चलाने के लिए हमें गियर चेंज करने पड़ते हैं गियर चेंज करने के लिए हमें अपने उल्टे पांव (left side leg) से सबसे पहले गाड़ी की क्लच को दबाना पड़ता है क्लच के दबाते ही गियर लीवर फ्री हो जाता है तब हाथ से गियर लीवर पकड़कर पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवा, या छठा, गियर हम गाड़ी की स्पीड के हिसाब से डाल सकते हैं। ऑटोमेटिक गियर सिस्टम,  इन इ...

ऊष्मा क्या है

इस उपशाखा में ऊष्मा ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते हैं। ऊष्मा या ऊष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं। तापमान गर्म या ठंढे होने की माप तापमान कहलाता है जिसे तापमापी यानि थर्मामीटर के द्वारा मापा जाता है। लेकिन तापमान केवल ऊष्मा की माप है, खुद ऊष्मीय ऊर्जा नहीं। इसको मापने के लिए कई प्रणालियां विकसित की गई हैं जिनमें सेल्सियस(Celsius), फॉरेन्हाइट(Farenhite) तथा केल्विन(Kelvin) प्रमुख हैं। इनके बीच का आपसी सम्बंध इनके व्यक्तिगत पृष्ठों पर देखा जा सकता है। ऊष्मा मापने का मात्रक कैलोरी है। विज्ञान की जिस उपशाखा में ऊष्मा मापी जाती है, उसको ऊष्मामिति (Clorimetry) कहते हैं। इस मापन का बहुत महत्व है। विशेषतया विश...

प्रकाशिकी क्या है

प्रकाश का अध्ययन भी दो खंडों में किया जाता है। पहला खंड, ज्यामितीय प्रकाशिकी, प्रकाश किरण की संकल्पना पर आधृत है। दर्पणों से प्रकाश का परार्वतन और लेंसों तथा प्रिज्मों से प्रकाश का अपवर्तन, ज्यामितीय प्रकाशिकी के विषय है। सूक्ष्मदर्शी, दूरदर्शी, फोटोग्राफी कैमरा तथा अन्य उपयोगी प्रकाशिकी यंत्रों की क्रियाविधि ज्यामितीय प्रकाशिकी के नियमों पर ही आधृत है। प्रकाशिकी का दूसरा खंड भौतिक प्रकाशिकी है। इसमें प्रकाश की मूल प्रकृति तथा प्रकाश और द्रव्य की पारस्परिक क्रिया का अध्ययन किया जाता है। प्रकाश सूक्ष्म कणों का संचार है, ऐसा मानकर न्यूटन ने ज्यामितीय प्रकाशिकी के मुख्य परिणामों की व्याख्या की। पर 19वीं शताब्दी में प्रकाश के व्यतिकरण की घटनाओं का आविष्कार हुआ। इन क्रियाओं की व्याख्या कणिका सिद्धांत से संभव नहीं है, अत: बाध्य होकर यह मानना पड़ा कि प्रकाश तरंगसंचार ही है। ऊपर वर्णित मैक्सवेल के विद्युतचुंबकीय सिद्धांत ने प्रकाश के तरंग सिद्धांत को ठोस आधार दिया। भौतिक प्रकाशिकी का एक महत्वपूर्ण भाग [[स्पेक्ट्रामिकी (Spectroscopy) है। इसमें प्रकाश तरंगों के स्पेक्ट्रम का अध्ययन किया जा...

आधुनिक भौतिकी क्या है

आधुनिक भौतिकी 19वीं शताब्दी में भौतिकविज्ञानी यह विश्वास करते थे कि नवीन महत्वपूर्ण आविष्कारों का युग प्राय: समाप्त हो चुका है और सैद्धांतिक रूप से उनका ज्ञान पूर्णता की सीमा पर पहुँच गया है किंतु नवीन परमाणवीय घटनाओं की व्याख्या करने के लिये पुराने सिद्धांतों का उपयोग किया गया, तब इस धारणा को बड़ा धक्का लगा और आशा के विपरीत फलों की प्राप्ति हुई। जब मैक्स प्लांक ने तप्त कृष्ण पिंडों के विकिरण की प्रवृति की व्याख्या चिरसम्मत भौतिकी के आधार पर करनी चाही, तब वे सफल नही हुए। इस गुत्थी को सुलझाने के लिये उनको यह कल्पना करनी पड़ी कि द्रव्यकण प्रकाश-ऊर्जा का उत्सर्जन एवं अवशोषण अविभाज्य इकाइयों में करते हैं। यह इकाई क्वांटम कहलाती है। चिरसम्मत भौतिकी की एक अन्य विफलता प्रकाश-वैद्युत प्रभाव की व्याख्या करते समय सामने आई। इस प्रभाव में प्रकाश के कारण धातुओं से इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन होता है। इसकी व्याख्या करने के लिये आईंस्टाइन ने प्लांक की कल्पना का सहारा लिया और यह प्रतिपादित किया कि प्रकाश ऊर्जा कणिकाओं के रूप में संचरित होती है। इन कणिकाओं को फोटॉन कहा जाता है। यदि प्रकाश तरंग की आवृति...

यांत्रिकी तथा द्रव्यगुण

यांत्रिकी तथा द्रव्यगुण यांत्रिकी तथा द्रव्यगुण यांत्रिकी में द्रव्यपिंडों की गति का अध्ययन किया जाता है। यह गति समूचे पिंड की भी हो सकती है और आंतरिक भी। भौतिकी की इस शाखा का बहुत महत्व है और इसके सिद्धांत भौतिकी के प्रत्येक विभाग मे, विशेषतया अभियान्त्रिकी (इंजीनियरिंग) और शिल्पविज्ञान में, प्रयुक्त होते हैं। इसके मूल में जो सिद्धांत लागू हाते हैं, उनको सर्वप्रथम न्यूटन ने प्रतिपादित किया था। लैग्रेंज, हैमिल्टन आदि वैज्ञानिकों ने इन नियमों को गंभीर गणितीय रूप देकर जटिल समस्याएँ हल करने योग्य बनाया। मूल समीकरणों द्वारा ऊर्जा संवेग (momentum), कोणीय संवेग इत्यादि, नवीन राशियों की कल्पना की गई। इस विज्ञान के मुख्य नियम ऊर्जा संरक्षण, संवेग संरक्षण तथा कोणीय संवेग संरक्षण हैं। सिद्धांत रूप से ज्ञात बलों के अधीन किसी भी पिंड की गति का पूरा विश्लेषण किया जा सकता है। द्रव्य गुण शाखा में द्रव्य की तीनों अवस्थाओं ठोस, द्रव, तथा गैस के गुणों की विवेचना की जाती है। इन गुणों के आपसी संबंधों की भी चर्चा की जाती है और इनसे संबंधित आँकड़े ज्ञात किए जाते हैं। कुछ गुण जिनका अध्ययन किया जाता है, य...

भौतिक क्या है

भौतिक शास्त्र भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषा करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबंधों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी भीतरी क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर न...